दिनांक: 05-May-2020
सैयद इमामशाह महाराजने इस्लामके प्रचार हेतु श्रीमद “भगवत” दसावतार ग्रंथ लिखा। (नाम में भी भ्रामकता छुपी है – “भागवत” नही “भगवत” है।) उन्होनें इस ग्रंथ में हिन्दू भगवान विष्णु के दसावतार को भ्रष्ट कर सभी अवतार फिर से लिखे।
भगवान विष्णु का 10 वे अवतार यानि “कल्कि” अवतार को कैसे भ्रष्ट कर हिंदुओं की श्रद्धा को इस्लाम की तरफ मोड़ा, यह देखतें हैं।
इस वीडियो में सम्पूर्ण जानकारी मिलती है।
YouTube: https://youtu.be/jwPoN56oIhc
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कल्कि अवतार के विषय में आधार भूत जानकारी मुख्य १८ महा पुराणों में से श्रीमद भागवत महापुराण, विष्णु पुराण, गरुड पुराणमें से मिलती है।
कल्कि अवतार का सार इस प्रकार है..
- धर्म, सत्य, पवित्रता, क्षमा, दया, आयु, बल और स्मरण शक्ति का लोप होता जाएगा।
- धनवान, शक्तिवान और छल-कपट करनेवालों का बोलबाला रहेगा।
- राजा ही प्रजा का सोशण करेगा।
- सच्चे धर्म के नाम पर अधर्म का प्रचार होगा।
- चोरी, झूठ, निरअपराध हिंसा इत्यादि से जीविका चलेगी।
- पाखंडी लोग नए-नए मत-पंथ चलाकर मनमाने ढंगसे वेदोंका तात्पर्य निकाल कर उन्हें कलंकित करेंगे।
- जिन्हें धर्म का रत्तीभर ज्ञान नहीं होगा वह ऊंचे सिंहासन पर बिराजमान होकर धर्म का उपदेश देंगे।
- कलियुग में दोषों का मूल स्त्रोत अन्तःकरण है। (कोई दैत्य/राक्षस/दुष्ट स्त्रोत नहीं है।) (यह मुद्दा खास नोट करना)
पर सैयद इमामशाह महाराजने हिंदुओं के साथ छल किया। उन्होंने कल्कि अवतार की कुछ बातें ली और
कुछ अपनी बात मिलादी। इस भ्रष्ट अवतार का नाम रखा निष्कलंकी अवतार।
सैयद इमामुद्दीन अब्दुररहीम (उर्फ़ इमामशाह महाराज) द्वारा लिखित सतपंथ दसावतार ग्रन्थ (सब अवतारों के साथ) को,इस लिंक पर पढ़ सकते हो.. साथमें इस्लामका प्रचारक हिन्दू धर्म ग्रंथ क्यों लिखेगा? सोचो.
1. 1978 संस्करण (ID 3): https://bit.ly/2QT06uz (See below)
2. 2009 संस्करण (ID 264): https://bit.ly/3bu33JZ (See below)
सतपंथ धर्म को हिन्दू धर्म का “आभास” देने के लिए सैयद इमाम शाहने शिया इस्लाम के आराध्य देव मूर्तजा मौला “अली” को कलियुग में विष्णु का 10 वां अवतार बताया।
“अली” का हिन्दू विरोध ना करें इसलिए उसे एक हिन्दू नाम दिया गया “निष्कलंकी नारायण”, जिसे सुनने से किसी को भनक तक नहीं पड़ती की वे एक मुसलमान है।
पर कुछ वर्षों पहले एक बड़ी समस्या आन पड़ी। सैयद इमामशाह का “मूल” दसावतार ग्रंथ में (ID 3 – https://bit.ly/2QT06uz) भले हिन्दू देवों का उल्लेख है, पर कई जगहों पर इस्लामी/अरबी/उर्दू शब्द हैं। इस के कारण सतपंथ इस्लाम धर्म है, यह लोग जान गए।
इस्लाम में एक रणनीति है, जिसमें वे अपने धर्म को हिन्दू धर्म होने का “आभास” करवाकर भोले और अनजान हिंदुओं को इस्लाम के रास्ते पर चलता करतें हैं। इस रणनीति को “ताकिया” कहतें हैं।
अपने इस्लामी मूल को छुपाने हेतु से सतपंथ के प्रचारकोंने फिरसे इस्लामी “ताकिया” का प्रयोग कर वर्ष 2002 में दसावतार ग्रंथ का इस्लामी बीज छुपाने नया हिन्दू रूप दिया गया। (ID 264 – https://bit.ly/3bu33JZ)
इसमें उन्होंने इस्लामी/अरबी/उर्दू शब्दों की जगह भाषांतर कर हिन्दू/भारतीय/संस्कृत शब्द रख दिए। जैसे कि..
इस्लामी शब्द | हिन्दू शब्द | |
अल्लाह | : | प्रभु |
मुहम्मद | : | महादेव |
अली / नूर मुहम्मद | : | निष्कलंकी नारायण |
शाह / इमाम | : | साहब / हरी / विष्णु |
मस्जिद / जमात खाना | : | मंदिर |
कबर | : | समाधि |
इत्यादि | इत्यादि |
केवल भाषांतर किया हुआ यह नया ग्रंथ बड़ा भ्रामक साबित हुआ। इस ग्रंथ में छापे हुए हिन्दू धर्म के शब्दों को देखकर सामान्य लोगों को ऐसा ही लगा कि यह तो हिन्दू धर्म का ही ग्रंथ है।
सभी इस्लामी शब्दों के भाषांतर के बाद, जिस तरह, हिन्दी में भाषांतर किया हुआ कुरान इस्लाम का ही संदेश देता है, ठीक उसी तरह, यह नया ग्रंथ भी इस्लाम का ही संदेश देता है। परिणाम धर्म परिवर्तन के लिए ग्रंथ रूपी एक हथियार तैयार हो गया।
दोनों ग्रंथों के केवल “निष्कलंकी नारायण” अवतार को नीचे दिए लिंक पर पढ़ सकते हो..
“मूल” अवतार (ID 3): https://bit.ly/2ylrHPf or https://archive.org/stream/series83/NishkalankiIn1978SatpanthPrakashArthatDasAvataarID3
“अनुवादित” अवतार (ID 264): https://bit.ly/35vnrZw or https://archive.org/stream/series83/NishkalankiIn2009-07-07SatpanthBhagwatDasavatarID264
कुछ छोटी बातों को छोड़ दें तो, दोनों ग्रंथों के सारमें कोई अंतर नहीं है।
निष्कलंकी अवतार… संक्षिप्त में।
- कलियुग में भगवान विष्णु अपना अंतिम 10 वां अवतार लेंगे।
- नाम “निष्कलंकी” है, जो कलियुग के अंत तक “गुप्त” है।
- भगवान ब्रह्माने इमामशाहके नामसे कलियुगमे अवतार लिया।
- कलियुग के दैत्य का नाम है “कालिंगा” जो चीन देशमें है।
- कलियुग के अंतमें कालिंगा का वध होगा।
- कालिंगाकी पत्नी “सुरजारानी” और पुत्र “कमलाकुंवर” को इमामशाह “गुप्त” सतपंथी बनाएंगे।
- कमलाकुवर “मुखी” (पुजारी) बनतें हैं। केवल उनके द्वारा ही कलियुगमें 12 करोड़ लोग स्वर्ग जाएंगे। बाकी नरक जाएंगे।
- कलियुगमें इमामशाह के पास स्वर्ग की चाबी है।
- कलियुगमें होनेवाली हानीयों की 100 निशानीयाँ बताईं हैं।
- तब निष्कलंकी कालिंगा का वध करेंगे।
- निष्कलंकी की सेनामें हजारों-करोडों भूत, गंधर्व, किन्नर होंगे। हनुमान, पांडव, ब्रह्मा, विष्णु, महेश सहित सभी हिन्दू देव होंगे।
- यह सेना पिराणा में एकत्र होगी।
- तब पिराणा में इमामशाह की दरगाह सोने की बन जाएगी।
- वहाँ निष्कलंकी सभी लोगों का पाप-पुण्य तोलेंगे।
- निष्कलंकी के कहनेपर कालिंगा को उसकी पत्नी सुरजा रानी फूल चढ़ाकर वध करती है।
- तब निष्कलंकी नारायण पिराणाकी कुँवारिका धरती के साथ शादी करतें हैं।
- कलियुग का अंत होता है। तब स्वर्ग से सभी सतपंथी धरती पर आतें हैं और उसके बाद 1.25 लाख वर्षों तक सतपंथी धरती पर राज्य करेंगे।
- सतपंथीयों को मिलने वाले फ़ायदों का वर्णन है।
- और जो सतपंथी नहीं है, उन्हें मिलने वाली नरक की यातनाओं का वर्णन है।
यह था निष्कलंकी अवतार का सार।
अवतार को संक्षिप्त में देखें तो धर्म परिवर्तन के लिए आवश्यक सभी तत्व हैं। जिसे सुनकर हिन्दू आसानी से सतपंथ को स्वीकार लें।
1. | झूठा हिन्दू आभास | : | अली को विष्णु बताना। |
2. | लालच | : | केवल सतपंथीयों को स्वर्ग और 1.25 लाख वर्षों का राज। |
3. | झूठा प्रमाण | : | इमामशाह के पास स्वर्ग की चाबी है और पिराणामें इमामशाह की दरगाह सोने की हो जाएगी। |
4. | डर/भय | : | सतपंथ को ना माननेवालों को नरक की यातना। |
5. | आश्वासन | : | सभी देव, यक्ष, गंधर्व, किन्नर, वानर, नाग, पांडव, प्रकृति इत्यादि सतपंथ के पक्षमें है। |
कल्कि अवतार और निष्कलंकी अवतार यह दोनों अलग-अलग आवतर हैं। यह आपने जाना।
पर अनजान लोग विष्णु के इस बनावटी निष्कलंकी अवतार की कथा का शिकार हो जातें हैं। और सतपंथ के प्रचारकों के हाथों कटपुतली बन जातें है।
भूतकाल में सतपंथ को हिन्दू धर्म समझकर पालने वाले हिन्दू लोहाना, सुमरा, लंगा इत्यादि जाती के कई हिन्दू इस चाल का शिकार बन गए हैं। और आज “खोजा मुसलमान” बन चुके है।
पाकिस्तान के स्थापक मुहम्मद अली जिन्नाह भी सतपंथी थे। शुरुआत में जब उन्हें जरूरत थी, तब हिन्दू मुसलमान की एकता, शांति, भाईचारा, इत्यादि बातों का प्रचार करते थे।
जिन हिंदुओंने मुहम्मद अली जिन्नाह की एकता, शांति, भाईचारा, इत्यादि बातों पर विश्वास किया और उन्हें राजनैतिक प्लेटफ़ॉर्म दिया और बड़ा बनाया। उनके साथ यह कितना बड़ा धोखा हुआ, यह सभी जानतें हैं।
कल्कि और निष्कलंकी अवतार एक ही है, ऐसी झूठी बात फैलाकर सतपंथ के साधु हिंदुओं की श्रद्धा और आस्था के साथ धोखा कर रहें हैं।
इसलिए… इस धोखे की जानकारी मिलते ही,करोड़ों पूर्व सतपंथीयों ने सतपंथ धर्म को त्याग दिया है। यह वास्तविकता है।
हम किसी भी धर्म की निंदा और किसी व्यक्ति का अपमान भी नहीं करतें हैं | हमारा ऐसा कोई इरादा भी नहीं है। केवल सत्य आपके सामने रख रहें हैं।
याद रहे.. श्रीमद भागवत महापुरण बताता है कि.. कलियुग में..
- पाखंडी लोग नए-नए मत-पंथ चलाकर मनमाने ढंगसे वेदोंका तात्पर्य निकाल कर उन्हें कलंकित करेंगे। और
- जिन्हें धर्म का रत्तीभर ज्ञान नहीं होगा वह ऊंचे सिंहासन पर बिराजमान होकर धर्म का उपदेश देंगे।
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क्यों की…
अब “धोखा” नहीं खाना ।
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Real Patidar